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भारतीय रेलवे कर रहा है धमाल अब लोकल ट्रेन होगी Full Ac और ये मिलेगी आम लोगो को ये बड़ी सविधा ट्रेन का नाम सुनकर आप भी करोगे गर्व।

Making Of Budget-Friendly Version Of Vande Bharat Started May Be Named Vande Sadharan

 
Along with the poor, now the Haryana government will also provide free mustard oil to those with high income.

भारत में वंदे मातरम ट्रेन काफी लोकप्रिय बने जाती है. उसको लेकर खबर भी आती है कि उस राज्य के सांसद ने रेल मंत्री से मिलकर अपने इलाके में वंदे भारत ट्रेन चलाने की मांग भी की है और इस ट्रेन की लोकप्रियता का आलम तो यह है कि कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने भी इसको अपने राज्यों में चलाने की मांग की है लेकिन स्क्रीन के साथ एक दिक्कत और भी है कि महंगा किराया होने की वजह से आम आदमी इसमें सफल नहीं कर पाता इसलिए नहीं ट्रेन वंदे साधारण चलाने की तैयारी कर रहे हैं.

रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का यहां तक कहना है कि वंदे भारत और वंदे साधारण के बीच का अंतर जानना है तो आपको शताब्दी और जन शताब्दी का अंतर भी जाना पड़ेगा शताब्दी एक्सप्रेस को जब शुरू किया गया था तो इसे अमीर लोगों की टीम के रूप में मान्यता मिल गई इसका किराया भी जाता था तब इस ट्रेन को आम जनता का वर्जन जनशताब्दी लाया गया था.

यह पूरा मामला 1988 का बताया जाता है उस दौरान केंद्रीय रेल मंत्री माधवराव सिंधिया हुआ करते थे और उसी साल देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की जन्म शताब्दी दी थी उसी के उपलक्ष्य में भारतीय रेलवे ने दिल्ली से झांसी के बीच पहली शताब्दी एक्सप्रेस चलाने की घोषणा की थी बाद में इस को बढ़ाकर गोपाल तक कर दिया था और यह ट्रेन उस समय की सबसे तेज गति वाली ट्रेन थी जिसकी स्पीड अधिकतम 130 किलोमीटर प्रति घंटा हुआ करते थे.

हालांकि शताब्दी एक्सप्रेस का संचालन तो शुरू कर दिया गया था लेकिन इसकी आलोचना काफी हुई थी क्योंकि समाज के एक वर्ग का कहना था कि भारत जैसे गरीब देश में इन विलासिता पूर्ण गाड़ियों की कोई भी आवश्यकता नहीं है हालांकि समय भी जाने के साथ इस ट्रेन का स्थल खाने पीने की समान ट्रेन स्टाफ का व्यवहार और गति के विचारों के हिसाब से काफी नीचे तक गिर गया है तभी किराए के लिए आज से ही है काफी महंगी ट्रेन मानी जाती है.

अब ऐसे ही शताब्दी एक्सप्रेस के चलने के एक दशक के बाद जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार आई तो उस समय जनशताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन चलाने का फैसला लिया गया उस समय रेल मंत्री नीतीश कुमार हुआ करते थे उन्होंने ही रेल अधिकारियों को सस्ती लेकिन तेज गति में दौड़ने वाली जनशताब्दी ट्रेन व बनाने का आदेश दिया था यह ट्रेन बेहद लोकप्रिय साबित हुई थी की गति से दौड़ने वाली ट्रेन का किराया और इसमें सेकंड क्लास का डिब्बा भी है.

ऐसे ही वंदे भारत का किराया महंगा पड़ता है तो इसके लिए साधारण का वर्जन लाने को तैयार है रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि इस ट्रेन को बनाने की प्रक्रिया आईसीएफ चेन्नई में शुरू हो चुकी है और अगले कुछ महीने में तैयार कर दिया जाएगा इसमें सभी डिब्बे होंगे इसलिए इसका किराया भी कम होने की अटकले लगाई जा रही है.